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ओनलाइन कोचिंग# शिक्षा या व्यवसाय लेखनी वार्षिक कहानी लेखन प्रतियोगिता -29-Mar-2022

ओनलाइन कोचिंग (#शिक्षा या व्यापार)

एक मध्यमवर्गीय परिवार की भांति राघव और राधिका भी अपने बेटे विकास को इंजिनियर बनाने के सपने देख रहे हैं।
 राघव रांची शहर के नामी स्कूल में पढ़ाते हैं और उसी स्कूल में उनके दोनों बेटे पढ़ते हैं जिससे उनकी फीस का खर्च नहीं होता।
 वो अपने बेटों की आगे की पढ़ाई के लिए पैसे जमा करते हैं क्योंकि जानते हैं बारहवीं के बाद कोचिंग और कॉलेज फीस में बहुत पैसे चाहिए। 

बेटा पढ़ने में होशियार है, उसे कोचिंग की जरूरत नहीं है यह वो अच्छे से जानते हैं, फिर भी उसको कोचिंग दिलवाने को तैयार हैं। 
विकास ने जे ई ई की चारों परिक्षाओं के फार्म भरे। किसी ना किसी एटैंम्प में अच्छी रैंक आ जाएगी यही सोचकर।

 सरकारी कॉलेज में एडमिशन होना बहुत मुश्किल है और किसी प्राइवेट इंजिनियरिंग कॉलेज में पैसे पानी की तरह बहाने पड़ेंगे। राघव हमेशा इसी चिंता में घुले जाते।

 बेटे का पहला एंट्रेंस एग्जाम अच्छा हुआ फिर भी उसका कॉन्फिडेंस लेवल कम होता जा रहा था जब उसके दोस्त बताते बिना कोचिंग के कोई इन्जिनियरिंग की परीक्षा में पास नहीं होता।

वो यूट्यूब और गूगल में कोचिंग के बारे में देखता।
कोरोना के कारण पढ़ाई दो साल से ओनलाइन ही चल रही है। बहुत से ओनलाइन कोचिंग क्लासेस की भरमार हो गई है जो पहले दिन तो अच्छा डैमो क्लास देते हैं जिससे बच्चों का झुकाव उनके ओनलाइन कोचिंग क्लासेस पर हो जाए फिर फीस जमा करवाने के बाद उनका खेल शुरू हो जाता है।

विकास भी ऐसे ही ओनलाइन कोचिंग के प्रति आकर्षित होता तो पिता समझाते पहले अच्छे से देख सुन लो उसके बाद कुछ डिसाइड करो। 
पर आज कल के बच्चे माता पिता से अधिक विश्वास अपने दोस्तों और इंटरनेट पर करते हैं। 

विकास हर हफ्ते ओनलाइन कोचिंग बदलता। एक दो दिन बहुत खुश होता पर फीस जमा होते ही उसे उनका पढ़ाया हुआ समझ नहीं आता।  कोचिंग वाले फीस रिफंड करने से मना करते हुए कहते, "फार्म में लिखी शर्त नहीं देखी आपने फीस रिफंडेबल नहीं है।" 

पन्द्रह बीस हजार वाले कई कोचिंग में पैसे डूबने के बाद भी विकास समझ ही नहीं पा रहा था कि इन कोचिंग सेंटर में शिक्षा नहीं व्यवसाय किया जा रहा है ।

एक दिन तो हद हो गई जब राघव उदास हो राधिका से बोला," हमारे सपने अधूरे ना रह जाएं , तीन दिन से एक नए ओनलाइन कोचिंग के लिए पैसे मांग रहा है सवा लाख.. इतने पैसे सिर्फ कोचिंग में खर्च कर देंगे तो कॉलेज में नाम आने पर भी एडमिशन नहीं करवा पाएंगे। फिर पता नहीं बाकी कोचिंग वालों की तरह यह भी धांधली ना करेंगे इसकी क्या गारंटी है।"

राधिका ने विकास को समझाया," बेटा बस कल आने वाला रिजल्ट देख लो अगर इस लिस्ट में तुम्हारा नाम नहीं आया तो हम कैसे भी पैसों का इंतजाम करके तुम्हारा एडमिशन करवा देंगे इस ओनलाइन कोचिंग क्लासेस में। बस एक दिन रुक जाओ।" वो जानती थी कि बेटे को किसी और तरह से समझाना बेकार है। इंटरनेट की दुनिया ने आंखों पर पट्टी बांध दी है!

विकास पहले तो जिद्द पर अड़ा और बोला," आज आखिरी तारीख है।" पर फिर मम्मी की बात मानने को तैयार हो गया।

उसने सिर्फ एक ही परीक्षा दी थी वो भी बिना कोचिंग के।जब अगले दिन मैरिट लिस्ट में अपना नाम देखा तो हैरान रह गया कि बिना कोचिंग के परीक्षा में वो पास कैसे हो गया। 

उसका नाम एक नामी सरकारी कॉलेज के लिए चुना गया।
अब उसे भी समझ आ रहा था कि इन्टरनेट पर कोचिंग क्लास के नाम से बिजनेस चल रहा है। वो अपनी मेहनत से पढ़कर ही मैरिट में जगह बना पाया ।
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कविता झा'काव्या कवि'
# लेखनी
## लेखनी वार्षिक कहानी लेखन प्रतियोगिता
२९.०३.२०२२

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1 Comments

Gunjan Kamal

29-Mar-2022 06:57 PM

सच्चाई बयां करती हुई कहानी👏👌🙏🏻

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